गमलों के पौधे घर के भीतर की हवा नहीं सुधारते

गमलों के पौधे घर के भीतर की हवा नहीं सुधारते

सेहतराग टीम

आजकल फ्लैट कल्‍चर ने लोगों के बागवानी के शौक को गमलों में लगे पौधों तक सीमित कर दिया है। लोग चाव से अपने घरों की बालकनी या टैरेस पर गमलों में कई तरह के पौधे लगाते हैं। कहीं न कहीं लोगों के मन में ये भावना भी होती है इससे घर की सुंदरता बढ़ने के साथ प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। ये तो हम सभी जानते हैं कि पेड़ पौधे वातावरण में मौजूद कार्बनडाइऑक्‍साइड को अवशोषित कर ऑक्‍सीजन वापस वातावरण में छोड़ते हैं। मगर नए अध्‍ययनों ने साबित किया है कि गमलों में लगे पौधों से घर की हवा की गुणवत्‍ता पर कोई असर नहीं होता है। यानी इन पौधों से सुंदरता भले ही बढ़े पर हवा पर कोई असर नहीं होता।

दो वैश्विक अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि गमलों में लगे पौधों से घर के भीतर की वायु की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होती जबकि कारखानों एवं प्रदूषण फैलाने वाले अन्य स्रोतों के पास लगे वृक्षों से वायु की गुणवत्‍ता प्रभावित होती है और बाहरी वायु प्रदूषण कम होता है।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की ओर से किया गया अध्ययन पत्रिका ‘एन्वायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ में बुधवार को प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन में बात पता चली कि कारखानों और प्रदूषण फैलाने वाले अन्य स्रोतों के आसपास लगे पेड़-पौधौं से वायु प्रदूषण में औसत 27 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

अमेरिका के ड्रेक्सेल विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में यह कहा गया कि वायु गुणवत्ता में सुधार की क्षमता के दावे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।

ड्रेक्सेल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के एक एसोसिएट प्रोफेसर माइकल वारिंग ने एक बयान में कहा, ‘कुछ समय से यह एक आम गलत धारणा रही है। पौधे अच्छे होते हैं, लेकिन वास्तव में वे घर के भीतर की वायु को उतनी तेजी से स्वच्छ नहीं करते जिससे कि आपके घर या कार्यालय के वातावरण पर कोई प्रभाव पड़े।’

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दशकों तक हुए उन अनुसंधानों पर गौर किया गया जिनमें कहा गया था कि घर या कार्यालय में गमलों में लगे पौधों से वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। इससे यह बात सामने आयी कि वायु को साफ करने के मामले में प्राकृतिक वायु संचार पौधों को पीछे छोड़ देता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्व के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से छह शहर भारत में हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक वर्ष में कई बार वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ या ‘बेहद गंभीर’ श्रेणी में चला जाता है।

वारिंग और उनके एक छात्र ब्रायन क्यूमिंग्स ने 30 वर्ष के दौरान हुए एक दर्जन अध्ययनों की समीक्षा करके अपने निष्कर्ष निकाले और यह जर्नल आफ एक्सपोजर साइंस एंड एन्वायर्नमेंटल एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित हुआ।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं के अध्ययन के अनुसार औद्योगिक स्थलों, सड़कों, ऊर्जा संयंत्रों, वाणिज्यिक बायलर्स और तेल एवं गैस ड्रिलिंग साइट के पास वायु साफ करने के लिए पेड़ पौधे प्रौद्योगिकी से सस्ते विकल्प हो सकते हैं।

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